कपालभाती करने का उत्तम तरीका और फ़ायदे | Kapalbhati Pranayama Benefits in Steps Hindi

Kapalbhati Pranayama (कपालभाती प्राणायाम) संस्कृत शब्द है जो की दो शब्दों कपाल+भाती से मिलकर बना है। कपाल का अर्थ होता है “ललाट” और भाती का अर्थ होता है “चमक” या “प्रकाश” | अत: कपालभाती के नियमित अभ्यास से चहरे(Face) पर चमक आ जाती है|Yoga-for-women

 

Kaplabhati एक श्वसन योगिक क्रिया है जिसमे नाक के द्वारा सांस को तेज़ गति से छोड़ कर तेज़ी से पेट का संकुचन और फैलाव करते है।कपालभाति प्राचीन योग ग्रंथ घेरंडा संहिता में उल्लिखित 6 योग क्रियाओं (षठकर्म) में से एक है। षठकर्म की क्रियाएँ हैं:

  1. धौति (Dhauti) – भोजन नली की शुद्धि के लिए
  2. नेति (Neti)- नाक गुहाओं की शुद्धि के लिए
  3. नौली (Nauli) – पाचन अंगों की शुद्धि के लिए
  4. त्राटक (Tratak)- आँखों को मजबूत करने के लिए
  5. बस्ती (Basti) – बड़ी आंत की सफाई के लिए
  6. कपालभाति (Kapalbhati)- सिर क्षेत्र की शुद्धि के लिए

इस लेख मे हमने Kapalbhati Pranayama(कपालभाती) योग को करने की विधि,लाभ,सावधानी और ज़रूरी बातों का उल्लेख किया है|

  1. कपालभाती करने के लाभ- Kapalbhati karne ke fayde
  2. कपालभाती से पहले किये जाने वाले प्राणायाम – Kapalbhati say pahlay keyai jaanay walay Pranayama
  3. कपालभाती करने का तरीका- Kapalbhati karne ka tarika
  4. कपालभाती प्राणायाम के प्रकार- Kapalbhati kay prakar
  5. कपालभाती करने मे सावधानियां और अंतर्विरोध- Kapalbhati karne mai saavdhaniya aur bachaav
  6. कपालभाती के बाद किये जाने वाले प्राणायाम – Kapalbhati karne baad kiye janay walay Pranayama
  7. कपालभाती के बारे मे ज़रूरी सवाल- Kapalbhati Pranayama FAQs

कपालभाति करने के फ़ायदे – Kapalbhati Benefits in Hindi

  • यह वजन जल्दी घटाने में बहुत अधिक फायदेमंद है। क्योंकि Kapalbhati रक्त परिसंचरण और पाचन में सुधार करता है।
  • कपालभाती प्राणायाम आंखों को आराम देता है, जिससे काले घेरे और उम्र बढ़ने के समय से पहले लक्षण दूर करने में मदद करता है।
  • Kapalbhati के नियमित अभ्यास से चहरे पर चमक आती है।
  • कपालभाति प्राणायाम आपके दिमाग को शांत करता है जिससे तनाव और मन की चिंता दूर होती है।
  • यह प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
  • साइनस और अस्थमा रोगों से निजात दिलाने मे मदद करता है।
  • एसिडिटी और गैस से जुड़ी समस्याओं को खत्म करता है।
  • स्मरण शक्ति और एकाग्रता में सुधार करता है।
  • क्रिया आंतरिक अंगों को उत्तेजित करती है, विशेष रूप से पेट वाले, और इसलिए, मधुमेह वाले लोगों की मदद करती है।
  • kapalbhati शरीर में चक्रों को सक्रिय करता है।

कपालभाति से पहले किये जाने वाले प्राणायाम – Kapalbhati pranayama say pahlay kiye janay walay Pranayama

  1. भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika pranayama)
  2. अग्निसार प्राणायाम (Agnisar Pranayama)

कपालभाति करने का तरीका – How To Do Kapalbhati in Hindi

  • सर्वप्रथम Kapalbhati Pranayama करने के लिए वज्रासन या सुखासन में बैठें। अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए कंधे और गर्दन को रिलैक्स रखे |
  • दोनों हाथों को को ध्यान मुद्रा या ज्ञान मुद्रा मे रखे |
  • दोनों नथुने खुले हैं, तो एक गहरी साँस लें और पेट में निचोड़ते हुए बल के साथ श्वास को बाहर निकलना शुरू करें।
  • आपका पूरा ध्यान सिर्फ सांसो को बल पूर्वक बहार छोड़ने की तरफ़ होना चाहिए | सांस अपने आप छोटे से अंतराल मे अन्दर जाती है|
  • अब लागतार नाक के दोनों नासिका छिद्रो से सिर्फ पेट में निचोड़ते हुए बल के साथ श्वास को बाहर निकालते रहना है।
  • इस प्रक्रिया को 1 मिनट मे 50 से 60 बार करने की कोशिश करनी है।
  • अगर आप को कुछ स्ट्रोक के बाद थकान महसूस होती है तो रिलैक्स होकर एक लंबी गहरी सांस लेकर फिर से शुरू कर सकते है।
  • और धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए स्ट्रोको की संख्या 1 मिनट मे 100 तक कर सकते है।

कपालभाति प्राणायाम के प्रकार- Types of Kapalbhati Kriya

  1. वातक्रम कपालभाती (Vatakrama Kapalbhati) यह वह प्रकार है जिसकी हमने ऊपर चर्चा की है, जहां साँस छोड़ना सक्रिय है, और साँस लेना निष्क्रिय है।
  2. व्युत्क्रम कपालभाती (Vyutkrama Kapalbhati) इस प्रकार की क्रिया मे आप अपने नथुने से पानी में सूँघें, इसे अपने मुँह से बहने दें, और अंततः इसे अपने होंठों से बाहर निकाल दें।
  3. शीतकर्मा कपालभाती (Sheetkrama Kapalbhati) यह व्युत्क्रम कपालभाती के विपरीत है| इस क्रिया मे आपको मुंह से पानी लेना पड़ता है और इसे अपने नथुने से बाहर निकालना पड़ता है।

कपालभाती करने मे सावधानियां और अंतर्विरोध – Precautions And Contraindications

  • दिल, अस्थमा और उच्च रक्तचाप के रोगियों को सांस छोड़ने के साथ धीमी गति से करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को और मासिक धर्म के समय Kapalbhati Pranayma नहीं करना चाहिए |
  • अल्सर और हर्निया के रोगियों को भी कपालभाति क्रिया नहीं करना चाहिए |
  • कपालभाति प्राणायाम के ज्यादा अभ्यास से चक्कर आने और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।

कपालभाती के बाद किये जाने वाले प्राणायामKapalbhati Karne Ke Baad Kiye Janay Walay Pranayama

कपालभाति प्राणायाम करने के बाद शरीर के सभी भाग उत्तेजित हो जाते है जिसकी वजह से शरीर मे गर्मी (उष्णत) बढ़ती है| अत: शरीर को शांत और ठंडक देकर संतुलित करने के लिए निम्न प्राणायाम ज़रूर करने चाहिए|

  1. अनुलोम-विलोम प्राणायाम (Anulom vilom Pranayama)
  2. चन्द्रभेदी प्राणायाम (Chandrbhedi Pranayama)

कपालभाती के बारे मे ज़रूरी सवाल- Kapalbhati Pranayama FAQs

  1. अधिकतम लाभ के लिए मुझे कपालभाती कितनी देर करनी चाहिए?

आम तौर पर यदि आप स्वस्थ हैं और लगातार श्वास स्ट्रोक के बीच एक लंबा अंतराल नहीं ले रहे हैं, तो आप अधिकतम लाभ के लिए 10-15 मिनट के लिए कपालभाति कर सकते हैं। इस प्रक्रिया मे 1 मिनट मे 50 से 60 बल पूर्वक सांस छोड़ते हुए,पेट को  संकुचित करने की कोशिश करनी है।

  1. कपालभाति अभ्यास से पहले और बाद में मुझे क्या करना चाहिए?

सुबह में, ओम जप के बाद आप कपालभाति सांस के साथ अपने योग सत्र को शुरू कर सकते हैं क्योंकि यह सुप्त शरीर के अंगों को उत्तेजित करता है। फिर कपालभाती के बाद, अन्य योग आसन किए जा सकते हैं या यदि आप अभ्यास को समाप्त करना चाहते हैं, तो इसे कुछ सूक्ष्म साँस लेने के व्यायाम करके कर सकते हैं जैसे कि अनुलोम विलोम प्राणायाम।

  1. क्या कपालभाति धावक के लिए एक अच्छा व्यायाम हो सकता है?

हा ये है। चूंकि धावकों को लंबे समय तक फेफड़ों की अच्छी क्षमता रखने की आवश्यकता होती है, इसके लिए कपालभाती श्वास व्यायाम फेफड़ों में सुधार करता है। इसके अलावा, धावक सरल पद्मासन के बजाय कपालभाती का अभ्यास करने के लिए वज्रासन का चुनाव करते है तो पैरों का अच्छी exercise हो जाती है जो की रनिंग मे बहुत मददगार हैं।

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Blog Writer:- Anil Ramola

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