अनुलोम विलोम प्राणायाम के फ़ायदे और करने का उत्तम तरीका | Anulom Vilom Pranayama in Hindi

योग क्रिया मे जितना अधिक महत्व शारीरिक व्यायाम का है उससे कई गुना अधिक महत्व स्नायु और श्वसन तंत्र के व्यायाम का है। क्योंकि श्वास ही हमारे जीवन कर प्राण आधार है। सांस लेने की तकनीक का सर्वोतम अभ्यास Nadi Shodhana Pranayama(नाड़ी शोधन प्राणायाम) है। जिसे हम Anulom Vilom Pranayama (अनुलोम विलोम प्राणायाम) के नाम से जानते है।

सर्व प्रथम हम नाड़ी शोधन प्राणायाम(Nadi Shodhana Pranayama) का अर्थ और महत्व समझते जो तीन संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है।

नाड़ी = सूक्ष्म ऊर्जा चैनल;

शोधन = सफाई, शुद्धि;

प्राणायाम = साँस लेने की तकनीक।

नाड़िया मानव शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा चैनल हैं जो की श्वसन तंत्र के विभिन्न भागों से होते हुए शरीर के संपूर्ण अंगों मे श्वास और रक्त के रूप मे ऊर्जा का संचालन करती है। लेकिन आज की अनियमित खानपान, अनियमित दिनचर्या और वायु प्रदुषण की वजह से इन नाड़ियो के अवरुद्ध होने की समस्या उत्पन्न हो गई है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम (Anulom Vilom Pranyama) साँस लेने की तकनीक मे सुधार का क्रम है जो इन अवरुद्ध ऊर्जा चैनलों (नाड़ियो) को साफ करने में मदद करती है। जिससे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है।

अत: दोस्तो Nadi Shodhana Pranayama (अनुलोम विलोम) के सभी पहलुओं को बारीकी से समझने के लिए सम्पूर्ण article को ध्यान से और रूचि लेकर अंत तक ज़रूर पढ़े |

  1. अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के फ़ायदे
  2. अनुलोम- विलोम प्राणायाम से पहले किये जाने वाले प्राणायाम
  3. अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका
  4. अनुलोम- विलोम प्राणायाम के बाद किये जाने वाले आसन
  5. अनुलोम विलोमप्राणायाम के दौरान 10 गलतियाँ और नुकसान
  6. अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे मे ज़रूरी सवाल

अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ – Anulom Vilom Pranayama Benefits In Hindi

  • संचार और श्वसन समस्याओं जैसे अस्थमा, शुगर,गठिया और एलर्जी के लिए चिकित्सीय रूप से काम करता है।
  • प्रभावी रूप से मन और शरीर में संचित तनाव को दूर करता है और सिर दर्द और माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है।
  • Nadi Shodhana Pranayama(Anulom vilom Pranayama) शरीर की नाड़ियो से कोलोस्ट्रोल रूपी अवरोध को दूर करता है। जो की Heart के स्वास्थ के लिए बहुत ही सहायक है।
  • हमारे दिमाग में अतीत को पछतावा या महिमामंडित करने और भविष्य को लेकर चिंतित रहने की प्रवृत्ति होती है। नाड़ी शोधन प्राणायाम नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों मे परिवर्तित करता है।
  • Anulom Vilom Pranayama शरीर का वजन कम करने मे बहुत ही कारागार है।
  • शरीर को शान्त और ठंडा रखता है।
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम एकाग्रता को बढ़ाता है जिससे मनुष्य के कार्यकुशलता बढ़ती है।
  • नाड़ी शोधन प्राणायामः से कब्ज़ की समस्या दूर होती है।
  • खर्राटों का इलाज और मोटापे को नियंत्रित करता है।
  • रक्त परिसंचरण का प्रबंधन करके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।
  • मांसपेशियों की प्रणाली में सुधार करता है।
  • Nadi Shodhana Pranayama(अनुलोम विलोम) से पूरे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम से पहले किये जाने वाले प्राणायाम – Anulom Vilom Pranayam se pahle kiye janay walay Pranayama

अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर को ठंडा और शांत रखता है। अगर इससे पहले शरीर को उष्ण करने वाले निम्नलिखित दो प्राणायाम ज़रूर करे जिससे शरीर की चन्द्र और सूर्य नाड़ी मे संतुलन बन जाता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका- How To Do Anulom Vilom Pranayama in Hindiअनुलोम विलोम प्राणायाम के फ़ायदे और करने का उत्तम तरीका | Anulom Vilom Pranayama in Hindi

  • सर्वप्रथम अपनी रीढ़(कमर) और कंधों को रिलैक्स करते हुये आराम से सुखासन या पद्मासन मुद्रा मे आराम से सीधे बैठें। और अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान रखें।
  • अपने बाएं हाथ को बाएं घुटने पर रखें, और हथेलियाँ, आकाश की ओर ध्यान या ज्ञान मुद्रा रखे |
  • दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली(Index Finger) और अंगूठे से वायु मुद्रा लगाते हुए, दाहिने अंगूठे से दायें नथुने को बंद करेंगे |
  • और अब बायें नथुने (नासिका) से लंबी,गहरी और शांत सांस लेंगे | और शरीर को स्थिर रखते हुए फैफ़डो(प्राण) और छाती का विस्तार करेंगे |
  • अब मध्यमा अंगुली की नोक को भौंहों के बीच में स्पर्श करेंगे | और अनामिका और छोटी उंगली से बाएं नथुने को बंद करेंगे |
  • दाहिने हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को खोलेंगे और दायें नथुने से लंबी गहरी सांस धीरे-धीरे छोड़गे | सांस छोड़ने के बाद पुनः फिर लंबी गहरी सांस अन्दर लेंगे |
  • दायें नथुने को, फिर से दायें अंगूठे से बंद करेंगे | और बाएं नथुने से लंबी गहरी सांस धीरे-धीरे छोड़गे | सांस छोड़ने के बाद पुनः फिर लंबी गहरी सांस अन्दर लेंगे |
  • इस प्रकार अनुलोम विलोम का एक चक्र पूर्ण होता है | दोनों नथुनों से बारी-बारी से सांस लेते हुए 5 से 10 चक्र पूरे करें। प्रत्येक साँस छोड़ने के बाद, उसी नथुने से साँस लेना याद रखें जिसमें से आपने साँस छोड़ी थी। अपनी आँखें बंद रखें और बिना किसी बल या प्रयास के लंबी, गहरी, साँसें लेते और छोड़ते रहे |

अनुलोम विलोम प्राणायाम के बाद किये जाने वाले आसन  – Anulom Vilom Pranayama Karne Ke Baad Keyi Janay Walay Asana

Anulom Vilom Pranayama शरीर की चन्द्र नाड़ी को सक्रीय करता है जिससे मन शांत और शरीर रिलैक्स हो जाता है। अब इसके बाद अगर हम निम्नलिखित मैडिटेशन प्राणायाम करते है तो यह सोने पर सुहागा जैसा होगा |

  • भ्रामरी प्राणायामः
  • ॐ स्वर का नांद
  • योग निद्रा

अनुलोम विलोम प्राणायाम के दौरान 10 गलतियाँ और दुष्प्रभाव – Anulom Vilom Pranayam Side Effects, Mistakes and Precautions

  • सांस को ज़ोर लगाकर खीचंना ,जिससे कम मात्रा ऑक्सीजन सांस के साथ आती है और प्राण (फैफ़डो) का विस्तार नहीं होता है
  • सांस लेते समय गर्दन और कंधों को अनावश्यक पीछे की तरफ़ ले जाना |
  • श्वास लेते (पूरक) और सांस छोड़ते (रेचक) समय साँसों की आवाज़ करना |
  • सांस छोड़ने (रेचक) की समय अवधि सांस लेने (पूरक) से कम रखना |
  • श्वास को जबरदस्ती ज़रूरत से ज्यादा देर रोकना (कुंभक) अस्थमा और दिल की बीमारी वाले लोगों के लिए हानिकारक होता है।
  • कमर और रीढ़ को सीधा नहीं रखना और दाहिने हाथ को नीचे की ओर झुकाकर रखना |
  • जुखाम और खांसी के समय अनुलोम विलोम प्राणयाम का अभ्यास करने से श्वास नाड़ियों मे सुजन आ सकती है।
  • अंगूठे से नासिका पर ज्यादा दबाव (प्रेशर) लगाना |
  • हाथों की मुद्रा सहीं नहीं रखना |
  • मन को शांत नहीं रखना और सांसो पर ध्यान केन्द्रित नहीं रखना |

दोस्तो आगे से जब भी आप अनुलोम विलोम प्राणायम का अभ्यास करे तो इन Mistakes को ना करे | और Nadi Shodhana Pranayma(अनुलोम विलोम प्राणायम) का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त करे |

अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे मे ज़रूरी सवाल – Anulom Vilom Pranayama Practice Ke Baray Mai Jaruri Jaankari

Anulom Vilom करने से पहले नये योग सधाको के मन मे बहुत सी जिज्ञसा और प्रश्न उठते है जिनकी हम विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे |

  1. अनुलोम विलोम प्राणयाम और नाड़ी शोधन प्राणायाम मे क्या अंतर है ?

अनुलोम विलोम और नाड़ी शोधन प्राणायाम दोनों के सिर्फ नाम मे ही फर्क है ,अनुलोम विलोम नाम इसलिए है क्योंकि दोनों नासिका से सांस को विपरीत क्रम मे  एक बार लेते है और फिर से छोड़ देते है| नाड़ी शोधन प्राणायाम नाम इसलिए क्योंकि इस प्राणायम से हमारे शरीर के तीनों नाड़िया इडा, पिंगला और सुषुम्ना बिल्कुल सही तरीके से काम करती है | और वात,पित और कफ़ रोगों से राहत मिलती है |

  1. Anulom Vilom Pranayam Practice कितनी देर करनी चाहिए ?

Anulom Vilom Pranayama शरीर को शीतलता प्रदान करता है।  नये योग सधाको को 9 से 12 बार करना चाहिए | और गर्मियों के समय 25 बार तक कर सकते है।

  1. क्या Anulom Vilom Pranayam Practice खाना खाने के तुरंत बाद कर सकते है ?

नहीं खाना खाने के तुरन्त बाद अनुलोम विलोम प्राणायाम नहीं करना चाहिए | वज्रासन या वीरासन योग आप खाना खाने के बाद कर सकते है।

  1. अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का सबसे सही समय क्या है ?

Anulom Vilom Pranayama सुबह के समय खाली पेट योग आसनों के बाद किया जाए तो सबसे अधिक फ़ायदा होता है।

इस प्रकार इस article मे हमने अनुलोम विलोम प्राणायाम के सभी पहलुओ पर विस्तार पूर्वक चर्चा की है। अगर आप को लेख पसंद आया तो शेयर ज़रूर करे |

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Blog Writer:- Anil Ramola

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